गिलोय के इम्यूनिटी के लिए लाभ क्या हैं?

Views : 14 2 Likes Comment
आंवला में कितनी मात्रा में विटामिन सी होता है (39)

गिलोय (वैज्ञानिक नाम: Tinospora cordifolia) आयुर्वेद की एक बहुत ही महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है, जिसे ‘अमृता’ या ‘गुडूची’ के नाम से भी जाना जाता है। इसे अक्सर इसके रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने वाले गुणों के लिए ‘रसायन’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर को फिर से जीवंत करने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करती है।


गिलोय और इम्यूनिटी के लाभ

गिलोय को एक शक्तिशाली इम्यूनोमॉड्यूलेटर (immunomodulator) माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली की गतिविधि को विनियमित और उत्तेजित कर सकती है। यह शरीर की विभिन्न बीमारियों और संक्रमणों से लड़ने की क्षमता को मजबूत करती है।

यहाँ गिलोय के इम्यूनिटी के लिए प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  • एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर: गिलोय में कई शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जैसे कि एल्कलॉइड, स्टेरॉयड, टर्पेनॉइड्स और ग्लाइकोसाइड्स। ये एंटीऑक्सीडेंट शरीर में फ्री रेडिकल्स (मुक्त कणों) से लड़ने में मदद करते हैं। फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और कई बीमारियों, जिनमें संक्रमण और पुरानी बीमारियां शामिल हैं, का कारण बन सकते हैं। इन फ्री रेडिकल्स को बेअसर करके, गिलोय कोशिका क्षति को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
  • श्वेत रक्त कोशिकाओं (WBCs) को बढ़ावा: गिलोय शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells – WBCs) के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है, खासकर मैक्रोफेज (macrophages) जैसे प्रतिरक्षा कोशिकाओं को। ये कोशिकाएं शरीर की “सफाई कर्मचारी” होती हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और अन्य रोगजनकों को निगल जाती हैं और नष्ट कर देती हैं। डब्ल्यूबीसी की बढ़ी हुई संख्या और गतिविधि शरीर की रोगजनकों से लड़ने की क्षमता को मजबूत करती है।
  • बुखार और संक्रमण से लड़ने में सहायक: आयुर्वेद में, गिलोय को विशेष रूप से ज्वरनाशक (antipyretic) गुणों के लिए जाना जाता है, यानी यह बुखार को कम करने में मदद करती है। यह डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसे वायरल बुखार में विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है, क्योंकि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाकर वायरस से लड़ने में मदद करती है। यह प्लेटलेट काउंट (रक्त पट्टिकाणु) को बढ़ाने में भी सहायक हो सकती है जो अक्सर डेंगू जैसे संक्रमणों में कम हो जाते हैं।
  • शरीर को डिटॉक्सिफाई करना: गिलोय शरीर से विषाक्त पदार्थों (toxins) को बाहर निकालने में मदद करती है। यह रक्त को शुद्ध करने और लिवर और किडनी के कार्य को बेहतर बनाने में सहायक है, जो अप्रत्यक्ष रूप से एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक साफ और स्वस्थ आंतरिक प्रणाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को अधिक प्रभावी बनाती है।
  • सूजन-रोधी गुण: गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) गुण होते हैं जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। पुरानी सूजन प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकती है और विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकती है। सूजन को कम करके, गिलोय प्रतिरक्षा प्रणाली को अधिक कुशलता से काम करने में मदद करती है।
  • तनाव कम करने में सहायक: तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। गिलोय को एक एडाप्टोजन (adaptogen) माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर को तनाव के अनुकूल बनाने और उसके हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद करती है। तनाव कम होने से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनी रहती है।
  • पाचन में सुधार: एक स्वस्थ पाचन तंत्र एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली की नींव है। गिलोय पाचन में सुधार करती है, जिससे पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण होता है। अच्छी तरह से अवशोषित पोषक तत्व प्रतिरक्षा कोशिकाओं के स्वस्थ कार्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।

गिलोय का उपयोग कैसे करें:

गिलोय को विभिन्न रूपों में इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे:

  • गिलोय का रस/जूस: ताजे गिलोय के तने का रस।
  • गिलोय चूर्ण: गिलोय के सूखे तने का पाउडर।
  • गिलोय घनवटी: गिलोय के अर्क से बनी गोलियां।
  • काढ़ा: गिलोय के तने को पानी में उबालकर बनाया गया पेय।

सावधानियां:

हालांकि गिलोय आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती है, फिर भी इसका सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना महत्वपूर्ण है, खासकर यदि आप गर्भवती हैं, स्तनपान करा रही हैं, या कोई अन्य दवा ले रही हैं। यह कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है और कुछ स्वास्थ्य स्थितियों (जैसे ऑटोइम्यून बीमारियां) वाले लोगों के लिए उचित नहीं हो सकती है।

You might like

About the Author: healthyvedics

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
error: Content is protected !!